
भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने की शुरुआत फाल्गुन और मुस्लिम धर्म के अनुसार रमजान का महीना शुरू हो चुका है। दोनों धर्मों को मानने वाले लोग इस महीने को अपने अपने मत के अनुसार मनाते हैं। कुशीनगर में एक ऐसा भी गांव हैं जहां मुस्लिम फाग गीत में शामिल हो कर लोकगीत फगुआ गाते हैं। वहीं हिंदू लोग मोहर्रम को लेकर रात में होने वाले झारी नामक संगीत कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
फाजिलनगर ब्लाक के सपहा गांव में दोनों धर्मों के लोग एक दूसरे के उत्सवों में शामिल हो कर गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल पेश करते हैं। इसके साथ ही फाग गीत के इस प्राचीन परंपरा को बचाए रखते हैं।
पूर्वांचल के कुशीनगर में रहने वाले ये लोग प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए रखते हुए एक साथ फाग गीत गाकर उत्साह मना रहे हैं। इस गीत में जहां एक तरफ श्रृंगार रस के साथ मिठास भारी है, तो वहीं हिंदू मुस्लिम एक साथ मित्रता का संदेश दे रहे हैं। इस गांव में यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है जहां शाम होते ही गांव के करीब दो दर्जन से अधि लोग एक पास ढोलक और झाल मंजीरा लेकर खूब उत्साह के साथ फाग गीत गाते हैं।
इसकी शुरुआत बसंत पंचमी के बाद सम्मत लगने के साथ होती है और होली के दिन समाप्त होती है। इसमें हिन्दू और मुस्लिम सभी एक साथ गाते और नाचते हैं। इस गांव में हिंदू मुस्लिम एकता का यह मिसाल मोहर्रम पर्व के दौरान भी देखने को मिलती है, जहां दोनों समुदायों को लोग एक साथ उत्सव में शामिल होते हैं, गीत संगीत गाते बजाते हैं और मोहर्रम के दिन दोनों समुदायों को लोग मिलकर ताजिया भी निकालते हैं। इस प्रकार यह गांव न सिर्फ प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं बल्कि हिंदू मुस्लिम एकता का एक मिसाल कायम करता है।