यूपी के सीमावर्ती क्षेत्र कुशीनगर के खड्डा के दियारावासियों के लिए पीपा पुल का नहीं बनना उनके सुगम आवागमन के दर्द को बयां कर रहा है। अभी भी ग्रामीण नारायणी नदी पर नांव के सहारे ही आवागमन को मजबूर हैं।

जनवरी-फरवरी का महीना खत्म और मार्च शुरू हो गया फिर भी भैसहा घाट पर पीपे का पुल लगाने का अभी तक न तो टेंडर हुआ और न ही इसके लगने की कोई उम्मीद नजर आ रही है। इससे नारायणी नदी के दूसरे छोर पर दियारा क्षेत्र में बसे ग्रामीणों को नाव का ही एकमात्र सहारा रह गया है। इसमें भी जब नाविक मनमाना किराया लें तो ग्रामीण इतना किराया कहां से लाएं? इन नावों पर लोगों की सुरक्षा का कोई भी इंतज़ाम नहीं है।
ज्ञात हो कि नारायणी नदी पार के गांवों को सुलभ आवागमन मुहैया कराने के उद्देश्य से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भैसहा गांव के समीप पीपा का पुल का उद्घाटन किया था। पिछले वर्ष यह पीपे का पुल काफी दिनों बाद लगा था। लेकिन इस वर्ष अब तक पुल नहीं बनने से ग्रामीण पीपा पुल को महज दिखावा का जरिया बताने लगे हैं। नारायणी नदी की बाढ़ की विभीषिका झेल रहे नदी पार के गांव मरिचहवा, शिवपुर, हरिहरपुर, बकुलादह, नारायणपुर व बसन्तपुर गांव को ब्लॉक मुख्यालय व जिला मुख्यालय से जुड़ने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से पीपे का पुल मात्र 800 मीटर के दायरे में लगवाया गया।
पीपा पुल पर उठ रहे कमीशनबाजी के आरोप
इस पीपा पुल के उद्घाटन के ढाई वर्ष खत्म होने के बाद भी भैंसहां गांव के समीप पीपा का पुल अब तक नहीं लगने से लोग अनेकों तरह के सवाल उठाने लगे हैं। कुछ का कहना है कि लगवाए गए पुल में जिम्मेदार लोगों ने काफी पैसा बनाया था। इस वर्ष उनका कमीशन तय ना होने के कारण पीपे का पुल अब तक नहीं लग सका है। इस पीपा पुल को को लेकर नदी इस पार से उस पार जाने वाले लोगों तथा नदी उस पार के गांव के लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
पुल नहीं होने से 60 किमी हो जाता है 15 किमी की दूरी
नदी पार के गांव के लोग बिहार प्रदेश के नौरंगिया होकर खड्डा पहुंचते है। जिन की दूरी 60 किलोमीटर हो जाती है। जबकि पीपे के पुल से पार होकर आने जाने पर यह दूरी 15 किलोमीटर ही बैठती है। इस संबंध में नदी पार के ग्रामीण निजामुद्दीन अंसारी, इजहार, अंसारी, बेचू, बेचन, प्रमोद राय, काशी, शैलेश, सविंदर आदि ने पीपा पुल लगवाने की मांग की है।कुंभ से हुआ पुल पर प्रभावितपीपा पुल का कार्य देख रहे मुंशी बबलू पाण्डेय का कहना है कि पानी के अप डाउन होने के कारण पीपे का पुल नहीं बन सका क्योंकि जो लोहे कीचादर बिछाई जाती है वह कुंभ में चली गयी है, जिससे ठेकेदार ने कार्य बंद करने को कहा तब से कार्य बंद है। यह कार्य कब शुरू होगा भविष्य के गर्त में है।